India-Nepal Border News: नेपाल से भारत के रिश्ते मधुर या बहुत कटु कभी नहीं रहे, भगवन राम को नेपाली बताने से लेकर उत्तराखंड पर अपना अधिकार जताने वाले नेपाल ने अब बासमती पर जो टैग हासिल करने के लिए दवा पेश किया है.
भारत में बासमती की बहुत सी किस्मे पायी जाती है, बासमती की उत्पति उत्तराखण्ड के पहाड़ी भूभाग में हुई है, नेपाल में धन की कुछ सुगंध वाली किस्मे है, पर इसके आधार पर GI हासिल कर लेना आसान नहीं है.

बताया जाता है की बासमती धान के लिए जो प्राकृतिक स्थिति होनी चाहिए वो नेपाल में नहीं हैं, न ही वह कभी इसकी व्यावसायिक खेती हुई हैं, ये सभी बातें नेपाल के बासमती पर दावे को कमज़ोर बनाती हैं.
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यूरोपीय संघ में भौगोलिक सूचकांक के लिए भारत के आवेदन को चुनौती देते हुए, नेपाल ने बासमती के वहां पैदा होने के दावे किये हैं.
नेपाल कृषि अनुसन्धान परिषद् ने प्रमाण जुटाने के लिए नेशनल जीन बैंक के वरिष्ठ वैज्ञानिक बालचंद्र जोशी की अद्यक्षता में समिति गठित की हैं.वैज्ञानिक आधार के साथ ही धार्मिक आधार पर इस बात को प्रमाणित करने का विचार हैं नेपाल का, वरिष्ठ वैज्ञानिक बालचंद्र जोशी का दवा हैं नेपाल के राज पत्रमे बासमती मि चार किस्में प्रकाशित की हैं, 25 किस्मो के स्वदेशी बासमती चावल GI टीम ने भी एकत्र किये है, अंतर्राष्ट्र्रीय बाजार में अपने उत्पाद को पेटेंट कराने के लिए तैयारियां कर रहा है.

नेपाल में बासमती की उत्पत्ति की खोज के लिए गठित की गई समिति वैज्ञानिक आधार के साथ ही धार्मिक पुस्तकों में उल्लिखित तथ्यों को एकत्र कर रही है। वरिष्ठ वैज्ञानिक बाल कृष्ण जोशी ने बताया कि नेपाल सरकार के राजपत्र में बासमती चावल की चार किस्में प्रकाशित की गईं हैं। जीन बैंक ने भी नेपाल के विभिन्न हिस्सों से 25 किस्म के स्वदेशी बासमती चावल एकत्र किए हैं ।

India-Nepal Border News: विश्व बौद्धिक संपदा संगठन के अनुसार, जीआई मूल निर्माता के लिए बौद्धिक संपदा अधिकार को सुरक्षित रखता है और तीसरे पक्ष को व्यापार के लिए संकेत का उपयोग करने से रोकता है। 2018 में, भारत ने यूरोपीय संघ में बासमती चावल के लिए जीआई टैग के लिए आवेदन किया।
नेपाल के अलावा, पाकिस्तान ने भी यूरोपीय संघ से लंबे अनाज वाले चावल के लिए विशेष अधिकार प्राप्त करने के भारत के कदम का विरोध किया है।
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